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जीव विज्ञान: प्रदूषण, Pollution/ pollution check near me/ pollution drawing/ pollution in hindi/ pollution sources effects and preventive measures/ pollution sources by percentage/ pollution in delhi

Updated: Jan 9

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पर्यावरण प्रदूषण-पर्यावरण की अशुद्धि या पर्यावरण की शुद्धता में गिरावट को ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। पोल्यूटेन्टस या प्रदूषण फैलाने वाले कण-जो एक निश्चित मात्रा में उपस्थित हो कर अनचाहा प्रभाव पैदा करते हैं। उदाहरण के लिये - कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड, धूल, सीमेन्ट, स्मोक, धातुओं के अॉक्साइड इत्यादि। शहरीकरण तथा औद्यौगीकरण मुख्य रूप से प्रदूषण के कारण है।



ब्रायोफाइट्स में वातावरण में व्याप्त प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशीलता होती है

जिस कारण उन्हें प्रदूषण के जीव सूचक के रूप में देखा जाता है और इसी कारण से वातवरण में उपस्थित प्रदूषण के अध्ययन में सहायक होते हैं।


प्रदूषकों द्वारा ब्रायोफाइट्स पर होने वाले कुप्रभाव -

क. पोल्यूटेन्टस, ब्रायोफाइट्स के लैंगिक प्रजनन को घटाते हैं (डे स्लूवर और ले ब्लैंक, 1970)। ख. पौधों की वृद्धि तथा उनमें होने वाली प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को घटाते या कम करते हैं, परिणामत: उनकी मृत्यु हो जाती है। घटक, जो क्षति की तीव्रता को प्रभावित करते हैं - - प्रदूषण के उद्गम स्थल से दूरी, - ‘‘एक्सपोजर फैक्टर’’ (सघनता X समय), - जीव सतह की प्रकृति, - आवास, - पी एच, - प्रेसीपिटेशन, - विकास की अवस्था - जाति या स्पीसीज की लाइफ फार्म।

ब्रायोफाइट्स और शैक में यह विशेषता है कि यह अन्य पौधों की अपेक्षा प्रदूषण के कणों को अधिक जल्दी और ज्यादा मात्रा में अवशोषित कर लेते हैं परिणामत: वह एक अच्छे जीव सूचक का कार्य करते हैं। जब प्रदूषण का स्तर बहुत कम होता है और अन्य पौधे उसे मापने में असमर्थ होते हैं तब यह उसकी उपस्थिति बता देते हैं। इनकी इस विशेषता (जीव सूचक के रूप में) को काफी पहले जाँचा परखा जा चुका है (तओदा 1973, ले ब्लैंक और रॉव 1975, चोपड़ा और कुमार 1988 कुमार और सिन्हा 1989, पांडे तथा अन्य 2001)

यह पौधे स्वतंत्र रूप से या शैक के साथ में वातावरण की शुद्धता को मापने की सूची के लिये उपयोगी साबित होते हैं। यह निर्भर करता है किसी स्पीसीज की संख्या, फ्रीक्वेन्सी कवरेज तथा प्रतिरोध घटक पर और एक साफ तस्वीर देता है, प्रदूषण से लम्बे अवधि में होने वाले प्रभाव के सम्बंध में किसी विशेष क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है (डे स्लूवर) और ले ब्लैंक 1970, ले ब्लैंक तथा अन्य 1974, रॉव 1982।

दर असल दो तरह के ब्रायोफाइट्स पाये जाते हैं -


प्रथम,: जो प्रदूषण के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और उनमें शीघ्र ही क्षति के लक्षण जो बहुत कम मात्रा में पोल्यूटेन्ट्स की उपस्थिति से ही दिखाई देने लगते हैं। और इस प्रकार प्रदूषण की मात्रा को मापने में वे अच्छे जीव सूचक साबित होते हैं।


द्वितीय, : जो उसी क्षेत्र में उगने वाले अन्य पौधों की अपेक्षा अधिक मात्रा में पोल्यूटेन्ट्स को अवशोषित करने तथा एकत्रित रखने की क्षमता रखते हैं। ब्रायोफाइट्स पोल्यूटेन्टस को अवशोषित करने के साथ अलग-अलग समय अवधि के लिये। वातावरण में पुन: आने से रोकते हैं ऐसे ब्रायोफाइट्स के विश्लेषण से वातावरण में उपस्थित धातुई प्रदूषण का अध्ययन किया जा सकता है।

ब्रायोफाइट्स की एक और विशेषता यह भी है कि ये सुखा कर हरबेरियम स्पेसिमेन की तरह रखे जा सकते हैं और ये गुनगुने जल में डालने पर पुन: वास्तविक रूप में आ जाते हैं। इस तरह एक लम्बे समय अंतराल में किसी भी क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर में हुए बदलाव को इन हरबेरियम स्पेसिमेन की मदद से जाँचा परखा जा सकता है।


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